1857 की क्रांति का कारण
सन 1857 के विद्रोह का प्रमुख राजनीतिक कारण गोद निषेध प्रथा या हड़प नीति थी। यह अंग्रेजो की एक विस्तार वादी नीति थी। जो पैतृक वारिस के ना होने की स्थिति में सर्वोच्च सत्ता इंडिया कंपनी के द्वारा अपने अधीनस्थ क्षेत्रों को ब्रिटिश साम्राज्य में मिलाने की नीति थी। जिसको डलहौजी ने शुरू किया था स्वाभाविक या दत्तक पुत्र ना होने के कारण सातारा, जैतपुर, संबलपुर, बघाट, उदयपुर, झांसी, नागपुर, करौली राज्य को अपने व्यपगत सिद्धांत के अनुसार विलय कर लिया । 1856 ई० में अवध के नवाब वाजिद अली शाह के ऊपर कुशासन का आरोप लगाकर अवध को भी ब्रिटिश साम्राज्य में मिलाकर उसे एक चीफ कमिश्नर क्षेत्र बना दिया गया।
डलहौजी ने पेशवा बाजीराव द्वितीय की 1853 ई० में मृत्यु होने पर उनके दत्तक पुत्र नाना साहब को पेंशन देने से मना कर दिया। इसने उपाधियों तथा पेंशनर पर पाबंदी लगाते हुए कर्नाटक के नवाब की पेंशन बंद कर दी। 1855 ई० में तंजौर के राजा की मृत्यु होने पर उनकी उपाधि छीन ली।
सन 1854 ई० में डलहौजी ने जमींदारों एवं जागीरदारों की जांच के लिए बम्बई में इनाम कमीशन का गठन किया। इस कमीशन ने 35000 जागीरो की जांच की और लगभग 20,000 जागीरे जप्त कर ली।
इस क्रांति की पृष्ठभूमि बहुत पहले से ही तैयार हो रही थी भारतीय जनता धीरे-धीरे अंग्रेजो के खिलाफ होते जा रही थी जिसके कई कारण थे ।
1857 के विद्रोह दबाने वाले अंग्रेजी सेनापति |
आर्थिक कारण
अंग्रेजों ने जमीन दारी व्यवस्था, महलवारी, रैयतवाड़ी, स्थाई बंदोबस्त इत्यादि द्वारा भारतीय किसानों का अत्यधिक शोषण किया जिस कारण भारतीय किसान गरीब हो गए। वह इसका कारण अंग्रेजों को मानते थे।
सामाजिक कारण
अंग्रेजों ने सती प्रथा, नरबलि, बाल विवाह पर प्रतिबंध लगा दिया तथा विधवा पुनर्विवाह लागू करा दिया जिस कारण भारतीय समाज में एक क्रांति की भावना आने लगी।
प्रशासनिक कारण
लॉर्ड डलहौजी ने हड़प नीति के तहत सतारा, अवध, झांसी, कानपुर, इलाहाबाद, जगदीशपुर, सिक्किम इत्यादि पर अधिकार कर लिया । इसने नाना साहब का पेंशन बंद कर दिया जिस कारण ये सभी राजा विरोधी हो गए।
धार्मिक कारण
अंग्रेज ईसाई धर्म का अत्यधिक प्रचार करते थे। जिस कारण भारतीय समाज विरोधी हो गया।
तकनीकी कारण
रेल, डाक तथा प्रेस के प्रारंभ होने से विद्रोह की भावना तथा संदेश तेजी से फैलने लगा।
सैनिक कारण
भारतीय सैनिकों को दाढ़ी मूंछ पगड़ी तथा बाला पहनने पर रोक लगा दिया गया जिस कारण सैनिक खिलाफ हो गए।
तत्कालिक कारण
अंग्रेजों ने (Base field Rifle) बेस फील्ड राइफल के स्थान पर (Infield)एनफील्ड राइफल को लाया। तभी से यह अफवाह उड़ गई कि हिंदुओं को दी जाने वाली राइफल के कारतूस पर गाय की चर्बी तथा मुसलमानों को दी जाने वाली राइफल के कारतूस पर सूअर की चर्बी लगी है तथा अंग्रेजो के द्वारा दिए जाने वाले आटे में गाय और सुअर के हड्डी का पाउडर मिला है जिस कारण सैनिको में मतभेद हो गया।
- बंगाल के बैरकपुर छावनी के 34(Native Infantry) नेटिव इन्फेंट्री के जवान मंगल पांडे ने इन कारतूसो के प्रयोग को मना कर दिया। उसके अधिकारियों ने जब दबाव बनाया तो उसने लेफ्टिनेंट बाज तथा लेफ्टिनेंट ह्यूज को गोली मार दी। इस कारण मंगल पांडे को 8 अप्रैल 1857 को बैरकपुर छावनी में फांसी दे दी गई। मंगल पांडे उत्तर प्रदेश के बलिया का रहने वाला था इस घटना के कारण सारे सैनिकों के अंदर विद्रोह की भावना आ गई।
- सैनिकों ने 30 मई 1857 को विद्रोह का दिन निर्धारित किया और इसके लिए रोटी तथा कमल के फूल द्वारा संदेश फैलाया गया।
- मेरठ के 20 NI के जवानों ने 10 मई 1857 को ही विद्रोह कर दिया।
- यह विद्रोही पूरे छावनी के हथियारों को लूट कर 11 मई को दिल्ली पहुंच गए। विद्रोहियों ने दिल्ली पहुंचकर दिल्ली की छावनी को जीत लिया और बहादुरशाह जफर को विद्रोह का नेता जबरदस्ती घोषित कर दिया गया।
- 4 जून 1857 को बेगम हजरत महल ने लखनऊ से विद्रोह कर दिया।
- 5 जून 1857 को नाना साहब तथा तात्याटोपे ने कानपुर से विद्रोह कर दिया। तात्या टोपे का मूल नाम रामचंद्र पांडुरंग था यह झांसी के रानी के गुरु थे।
- झांसी से विद्रोह मनु बाई (झांसी की रानी) ने किया ये बनारस की रहने वाली थी जिनका विवाह ग्वालियर के राजा गंगाधर राव से हुआ था। ग्वालियर की राजधानी उस समय झांसी थी।
- पटना से विद्रोह पुस्तक विक्रेता पीर अली ने किया था।
- आरा के जगदीशपुर के जमींदार वीर कुंवर सिंह ने विद्रोह किया इन्होंने लीग्रांड को 23 अप्रैल 1858 को पराजित कर दिया। किंतु कुंवर सिंह के हाथ में गोली लग गई थी जिस कारण उन्होंने अपना हाथ स्वयं काट कर गिरा दिया, जिस कारण कुछ दिन बाद उनकी मृत्यु हो गई। कुंवर सिंह के भाई को गोरखपुर जेल में डाल दिया गया जहां उनकी भी मृत्यु हो गई। बिहार सरकार 23 अप्रैल को विजय दिवस के रूप में मनाती है।
1857 के विद्रोह दबाने वाले अंग्रेजी सेनापति
1- दिल्ली (बहादुर शाह ।।) निकलसन तथा हडसन
2- लखनऊ (हजरत महल) कैंपवेल
3- कानपुर (नाना साहब) कैंपवेल
4- झांसी (मनु बाई ) ह्युरोज
5- इलाहाबाद (लियाकत अली) कर्नल नील
6- जगदीशपुर (कुंवर सिंह) लीग्रांड
नोट - कर्नल नील लारेंस तथा हैबलक विद्रोह दबाते समय मारे गए थे।
1859 में जब तात्याटोपे पकड़े गए तो विद्रोह को पूर्णत: समाप्त समझा जाने लगा।
1857 के विद्रोह के असफलता का कारण
1- हथियार की कमी
2- संगठन का अभाव
3- नेतृत्व की कमी
4- राजपूत तथा सिंधिया ने अंग्रेजों का साथ
5- शिक्षित लोग तटस्थ(Nutral) रहें
6- बहादुर शाह की पत्नी जीनत महल ने सभी गोपनीय सूचनाएं अंग्रेजों को दे दी और अंग्रेजों ने हुमायूं के मकबरे के समीप बहादुर शाह जफर को पकड़ लिया और उसे रंगून भेज दिया जहां 1862 में उनकी मृत्यु हो गई।
7- विद्रोहियों में देश प्रेम की भावना नहीं बल्कि आपसी स्वार्थ था
जैसे- बेगम हजरत महल से अवध छीना गया, नाना साहब का पेंशन रोका गया, झांसी की रानी के दत्तक पुत्र को राजा नहीं बनाया गया, कुंवर सिंह से जमीदारी छीन ली गई।
* विद्रोह के दौरान इलाहाबाद को अंग्रेजों ने आपातकालीन केंद्र बनाया था। जब विद्रोह समाप्त हुआ तो इंग्लैंड की महारानी ने अपना घोषणापत्र लॉर्ड कैनिंग को भेजा। लॉर्ड कैनिंग ने इसे 1858 में इलाहाबाद में पढ़कर सुनाया। इस घोषणा के अनुसार ईस्ट इंडिया कंपनी को समाप्त कर दिया गया और भारत का शासन इंग्लैंड की महारानी को दे दिया गया। ब्रिटेन ने यह वादा किया कि वह नऐ क्षेत्र पर कब्जा नहीं करेगा। विद्रोह के समय इंग्लैंड के प्रधानमंत्री पामअस्टरलिन थे तथा भारत का गवर्नर जनरल लॉर्ड कैनिंग था विद्रोह समाप्ति के बाद पील आयोग के सिफारिश पर सेना का पुनर्गठन किया गया और सेना में राजपूत तथा ब्राह्मणों की संख्या घटा दी गई जबकि नेपाली तथा पठान की संख्या बढ़ा दी गई।
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