द्रव्य या पदार्थ( Matter or Substance), भार तथा द्रव्यमान(Weight and Mass), द्रव्यमान तथा भार में संबंध, ऊर्जा (Energy), द्रव्यमान तथा ऊर्जा में संबंध,द्रव्य की भौतिक अवस्थाएं (Physical States of Matter) ,ठोस अवस्था (Solid state), द्रव अवस्था (Liquid state), गैस अवस्था (Gaseous State)

द्रव्य या पदार्थ( Matter or  Substance)

ब्रह्मांड के दो प्रमुख अवयव हैं द्रव्य और ऊर्जा, ब्रह्मांड के इन अवयवों का अनुभव हम अपने ज्ञानेंद्रियों (आंख,नाक,कान, हाथ, तथा त्वचा) की सहायता से करते हैं। मेज कुर्सी पत्थर वृक्ष मिट्टी व बर्तन आदि का अनुभव हम आंखों से देखकर या हाथों से छूकर करते हैं। ध्वनि का अनुभव हम कानों से करते हैं। उष्मा का अनुभव त्वचा से होता है। वायु का अनुभव हम आंखों से देखकर या हाथों से छूकर नहीं करते हैं परंतु जब हवा चलती है तो पत्ते हिलते हैं तथा वायु का अनुभव होता है। मुंह से फूंक कर हम गुब्बारे में हवा भरते हैं। यह प्रयोग भी हमें वायु का अनुभव कराता है। ध्यानपूर्वक विचार करने पर हम पाते हैं कि ब्रह्मांड की उपरोक्त अवयवों में से कुछ ऐसे हैं जो स्थान घेरते हैं तथा जिनमें भार होता है ब्रह्मांड के इन अवयवों को द्रव्य या पदार्थ कहते हैं|



भार तथा द्रव्यमान(Weight and Mass)

जिस बल से पृथ्वी किसी वस्तु को अपनी ओर आकर्षित करती है, वह उसका भार कहलाता है इसका मान पृथ्वी के विभिन्न स्थानों पर भिन्न होता है।
किसी वस्तु में विद्यमान द्रव्य के संपूर्ण परिणाम को उस वस्तु का द्रव्यमान कहते हैं। द्रव्यमान को संहति या मात्रा भी कहते हैं। इसका मान सभी स्थानों पर निश्चित रहता है

 द्रव्यमान तथा भार में संबंध

 किसी वस्तु के भार (w) तथा उसके द्रव्यमान (m) के संबंध को निम्नलिखित समीकरण द्वारा प्रदर्शित करते हैं

                                                                  w = mg

 जहां g गुरुत्व जनित त्वरण है।
गुरुत्व जनित त्वरण (g) का मान GM/R2 के बराबर होता है, जहां G गुरुत्वाकर्षण नियतांक, M पृथ्वी का द्रव्यमान तथा R पृथ्वी के केंद्र से वस्तु की दूरी है। क्योंकि विभिन्न स्थानों पर R का मान भिन्न होता है। स्थान परिवर्तन के कारण g के मान में परिवर्तन होता है। g के मान में परिवर्तन होने के कारण w के मान में भी परिवर्तन होता है। अतः स्थान परिवर्तन के कारण द्रव्य के भार (w) में परिवर्तन हो जाता है जबकि द्रव्यमान (m) में कोई परिवर्तन नहीं होता है।

 ऊर्जा (Energy)

 जब कोई मनुष्य नाव चलाता है, आनाज पिसता है या ठेला-गाड़ी चलाता है तो हम कहते हैं कि मनुष्य कार्य करता है। प्रत्येक कार्य करने में किसी वस्तु पर बल लगता है जो उस वस्तु को उसकी मूल अवस्था से विस्थापित कर देता है। यदि F बल के प्रभाव में हुआ विस्थापन d हो तथा किया गया कार्य W से प्रदर्शित किया जाए तो-
                                                                    W = F•d

अर्थात किसी बल तथा उस बल के प्रभाव में हुए विस्थापन के गुणनफल को किया गया कार्य करते हैं।" किसी वस्तु की कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं।" प्रत्येक द्रव्य में एक निश्चित उर्जा होती है। ऊर्जा परिवर्तन के कारण ही द्रव्य के संघटन,संरचना तथा गुणों में परिवर्तन होता है। ऊर्जा में न तो भार होता है और न ही इसका कोई आकार होता है। ज्ञानेंद्रियों द्वारा हम उर्जा के प्रभाव का अनुभव अवश्य करते हैं।

                         प्रकृति में ऊर्जा मुख्यतः निम्नलिखित रूपों में पाई जाती है। उष्मा,ध्वनि,चुंबकत्व,यांत्रिक ऊर्जा (गतिज ऊर्जा एवं स्थितिज ऊर्जा) तथा रासायनिक ऊर्जा। ऊर्जा के प्रत्येक रूप में कार्य करने की क्षमता होती है। ऊर्जा साधारणतया ना तो नष्ट की जा सकती है ना ही उत्पन्न की जा सकती है लेकिन ऊर्जा का एक रूप किसी दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है। पदार्थों में होने वाले सभी रूपांतरण प्रायः ऊर्जा के रूपांतरण के कारण ही होते हैं।


 द्रव्यमान तथा ऊर्जा में संबंध

आइंस्टीन (1905) के अनुसार यदि द्रव्य नष्ट होता है तो उसके तुल्य ऊर्जा निर्मुक्त होती है। द्रव्यमान तथा ऊर्जा में निम्नलिखित संबंध है
                                                    E =  mc2
                                 जहां,  E = उत्पन्न ऊर्जा की मात्रा (अर्ग में)
                                          m = नष्ट हुआ द्रव्यमान (ग्राम में)
                                           c = प्रकाश का वेग = 1010 सेमी प्रति सेकंड

 द्रव्य की भौतिक अवस्थाएं (Physical States of Matter)

        द्रव्य तीन भौतिक अवस्था में पाया जाता है ठोस (Solid), द्रव (Liquid) व गैस (Gas)

 ठोस अवस्था (Solid state) 

द्रव्य की वह अवस्था जिसमें उसका आकार तथा आयतन निश्चित होते हैं, ठोस अवस्था कहलाती है।
उदाहरण :-  लोहा,लकड़ी,पत्थर तथा बर्फ ठोस है।

 द्रव अवस्था (Liquid state)

द्रव्य की अवस्था जिसमें उसका आयतन निश्चित होता है लेकिन आकार उस पात्र के आकार जैसा होता है जिसमें वह रखा जाता है, द्रव अवस्था कहलाती है |
उदाहरण :- जल दूध ग्लिसरीन तेल तथा पारा द्रव है।

 गैस अवस्था (Gaseous State)

द्रव्य की वह अवस्था जिसमें उसका आयतन तथा आकार निश्चित नहीं होते हैं लेकिन उस पात्र के आयतन जितने व आकार जैसे हो जाते हैं जिसमें उसे रखा जाता है, गैस अवस्था कहलाती है।
उदाहरण :-  वायु,ऑक्सीजन,नाइट्रोजन,हाइड्रोजन,अमोनिया गैस हैं।


द्रव्य की भौतिक अवस्थाएं
द्रव्य की भौतिक अवस्थाएं