केंद्र सरकार किसी राष्ट्र- राज्य की सरकार होती है तथा एकात्मक राज्य की विशेषतां है। यह संघीय सरकार की तरह ही होती है, जिसमें अनेक स्तरों पर उसके सदस्य राज्य तथा अधिकृत यादी हुए अलग-अलग अधिकार हो सकते हैं हालांकि कभी-कभी इसे पारित करने के लिए केंद्र विशेषण का प्रयोग होता है
राष्ट्रपति
- भारतीय संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित है। वह देश का संवैधानिक प्रधान होता है।
- भारत में संसदीय व्यवस्था को अपनाया गया है। अतः राष्ट्रपति नाम मात्र को ही कार्यपालिका का प्रधान है, जबकि प्रधानमंत्री तथा उसके मंत्रिपरिषद में वास्तविक कार्यपालिका शक्तियां निहित है।
- भारत का राष्ट्रपति अप्रत्यक्ष रूप से एक निर्वाचक मंडल द्वारा निर्वाचित होता है जिसमें संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य, राज्य विधानसभाओं तथा संघ शासित क्षेत्रों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं। राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल में संसद के मनोनीत सदस्य, राज्य विधानसभाओं के मनोनीत सदस्य तथा राज्य विधान परिषदों के सदस्य शामिल नहीं किए जाते।
- राष्ट्रपति के चुनाव के लिए आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय प्रणाली को अपनाया गया है।
- राष्ट्रपति के चुनाव से संबंधित विवादों की छानबीन तथा निर्णय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किया जाता है।
- राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 61 के अनुसार राष्ट्रपति द्वारा संविधान का उल्लंघन करने पर उसके विरुद्ध महाभियोग चलाकर, उसे पदच्युत किया जा सकता है।
- महाभियोग प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन में लाया जा सकता है।
- राष्ट्रपति सशस्त्र सैन्य बलों का प्रधान होता है
कार्यपालिका संबंधी शक्तियां
महत्वपूर्ण अधिकारियों की नियुक्ति व पदच्युति, शासन संचालन संबंधी शक्ति, सैनिक क्षेत्र में शक्ति इत्यादि।
विधायी शक्तियॉ
विधायी क्षेत्र का प्रशासन, सदस्यों का मनोनयन, अध्यादेश जारी करने की शक्ति इत्यादि।
- संविधान द्वारा राष्ट्रपति को देश या उसके किसी हिस्से में आसन्न संकट से निपटने के लिए आपातकालीन शक्तियां दी गई हैं, जिसका प्रयोग व केंद्रीय मंत्रिमंडल की सलाह से करता है।
राष्ट्रपति की शक्तियां एवं अनुच्छेद
- युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह की स्थिति से संबंधित आपातकालीन व्यवस्था। (अनुच्छेद 352)
- राज्यों में संवैधानिक तंत्र के विफल होने से उत्पन्न आपातकालीन व्यवस्था। (अनुच्छेद 356)
- वित्तीय संकट (अनुच्छेद 360)
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महत्वपूर्ण संवैधानिक केंद्रीय मंत्रिमंडल |
उपराष्ट्रपति
- उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है।
- उपराष्ट्रपति का निर्वाचन संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय प्रणाली द्वारा होता है।
- उपराष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष होता है, किंतु वह स्वेच्छा से त्यागपत्र देकर इस अवधि के पूर्व भी अपना पद छोड़ सकता है अथवा उसे राज्यसभा के कुल बहुमत द्वारा पारित प्रस्ताव से, जिसे लोकसभा भी स्वीकार कर ले, पदच्युत किया जा सकता है।
- उपराष्ट्रपति राज्यसभा का सदस्य नहीं होता है, अतः उसे मतदान का अधिकार नहीं होता है, किंतु राज्यसभा के सभापति के रूप में निर्णायक मत देने का अधिकार उसे प्राप्त है।
- राष्ट्रपति की अनुपस्थिति तथा अस्थायी रूप से अपने कर्तव्यों को पूरा करने में असमर्थ रहने की स्थिति में उपराष्ट्रपति उसके स्थान पर कार्य करता है।
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उपराष्ट्रपति |
मंत्रिपरिषद और प्रधानमंत्री
- मंत्रिपरिषद में एक प्रधानमंत्री तथा आवश्यकतानुसार अन्य मंत्री होते हैं। 91वें संवैधानिक संशोधन 2003 द्वारा अनुच्छेद 164 में प्रावधान किया गया है कि केंद्र और राज्य मंत्री परिषद की सदस्य संख्या लोकसभा (केंद्र के लिए) और विधानसभा (राज्यों के लिए) की कुल सदस्य संख्या के 15% से अधिक नहीं होनी चाहिए, परंतु छोटे राज्यों के लिए न्यूनतम संख्या 12 निर्धारित की गई है।
- मंत्रिपरिषद में तीनों श्रेणियों, कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री, और उप मंत्री, के मंत्री सम्मिलित होते हैं, लेकिन मंत्रिमंडल में प्रधानमंत्री और कैबिनेट स्तर के मंत्री शामिल होते हैं।
- संसदीय प्रणाली में राष्ट्रपति नव निर्वाचित लोकसभा के बहुमत दल के नेता को प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त करने के लिए बाध्य है।
- प्रधानमंत्री को वही वेतन तथा भत्ते दिए जाते हैं, जो संसद के सदस्यों को प्रदान किए जाते हैं।
- प्रधानमंत्री लोकसभा का नेता होता है। वह राष्ट्रपति तथा मंत्रिमंडल के बीच संबंध स्थापित करता है।
- प्रधानमंत्री मंत्री परिषद का निर्माण, विभिन्न मंत्रियों के विभागों का बंटवारा तथा उनके विभागों में आवश्यकतानुसार परिवर्तन भी करता है।
भारत की संसद
- भारत की संसद राष्ट्रपति, राज्यसभा तथा लोकसभा से मिलकर बनी है।
- संसद के निम्न सदन को लोकसभा तथा उच्च सदन को राज्यसभा कहते हैं।
राज्य सभा
- संविधान के अनुच्छेद 80 के अनुसार राज्य सभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 हो सकती है लेकिन वर्तमान में संख्या 245 है।
- राज्यसभा के 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किए जाते हैं।
- राज्यसभा एक स्थायी सदन है। यह कभी भंग नहीं होता बल्कि इसके एक- तिहाई सदस्य प्रत्येक 2 वर्ष पर अवकाश ग्रहण करते हैं। राज्यसभा के प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल 6 वर्ष होता है।
लोकसभा
- लोकसभा की अधिकतम सदस्य संख्या 552 (530+20+2) हो सकती है। वर्तमान में इसकी सदस्य संख्या 545 (530+13+2) है।
- लोकसभा का कार्यकाल 5 वर्ष है, किंतु प्रधानमंत्री के परामर्श के आधार पर राष्ट्रपति द्वारा लोकसभा को समय से पूर्व भी भंग किया जा सकता है।
- लोकसभा सदस्यों द्वारा अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का निर्वाचन होता है।
- लोकसभा एवं राज्यसभा की दो बैठकों में 6 माह से अधिक का अंतर नहीं होना चाहिए।
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लोकसभा राज्य सभा |